samrat ashok ka jivan parichay : सम्राट अशोक का जीवन परिचय ?
Biography of Emperor Ashok
सम्राट अशोक का जीवन परिचय सन 273 से 232 ईसा पूर्व तक
सम्राट अशोक को पुराणों में अशोक वर्धन लोक कल्याणकारी कार्य करने के कारण अशोक महान मांस की लघु शिलालेख में युद्ध शाक्य शिलालेखों में देवानाम प्रियदर्शी( सात्विक अर्थ देवताओं का प्रिय शासक) बौद्ध साहित्य में चंड अशोक कहां गया है लेकिन अशोक के वास्तविक नाम का पता गुर्जर मास की नेट्टूर उदगोलम शिलालेखों में मिलता है
बौद्ध ग्रंथों में अशोक की माता का नाम सुभदांगी था जिसका बच्चे परंपराओं में नाम धर्मा मिलता है जो चंपा की ब्राह्मण की कन्या थी पिंगलबसु नामक आजीवक में ही अशोक के जन्म पर उसकी राजा बनने की भविष्यवाणी की थी अशोक को उज्जैनी करमौली भी कहा जाता है आप हर महीने अशोक प्राचीन भारत का प्रथम सम्राट था जिसने हिंसा पर प्रतिबंध लगाया एवं शिलालेख अभिलेख अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखी गए थे लिखने की परंपरा को प्रारंभ किया अपने परोपकारी कार्य करने की कारण से अकबर का पूर्वगामी जाता है
राजतरंगिणी के अनुसार अशोक ने झेलम नदी के किनारे श्रीनगर की स्थापना की तथा नेपाल में ललित पतन नगर की स्थापना की यस यू उपासक भक्त था कल्याण के विवरण के अनुसार अशोक कश्मीर का प्रथम मौर्य शासक था अशोक की मृत्यु के बाद कश्मीर का शासक जालोग को बताया गया है अशोक की पत्नी कारू बाकी ने उसे सर्वाधिक प्रभावित किया था अशोक की अन्य पत्नियां तिष्यरक्षिता असंदीमित्रा वह पद्मावती
अशोक के 7 बे स्तंभ लेख में प्रोडक्ट को आजीवक का उल्लेख किया गया आजीवक संप्रदाय की स्थापना मक्खलि पुत गौशाला ने की थी अशोक ने धर्म सहिष्णुता की नीति को दोस्तों अपनाते हुए आजीवक के निवास के लिए बराबर की पहाड़ियों में तीन गुफाओं का निर्माण करवाया जिनका नाम करण चॉपर सुदामा कथा विश्व झोपड़ी था .
सारनाथ लेख के अनुसार अशोक का साम्राज्य नेपाल में भी था सम्राट अशोक का राज्यरोहण 273 ईसवी पूर्व में हुआ था जबकि राज्य अभिषेक 269 ईसवी पूर्व में हुआ था आज अभिषेक 4 वर्ष बाद होने का कारण माना जाता है की उस समय उत्तराधिकारी युद्ध चल रहा था सिनौली अनुसुरतिया के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों का बंद कर सिंहासन प्राप्त किया राज्यारोहण से पहले अशोक अवंती (उज्जैन मध्य प्रदेश) का राज्यपाल था अशोक के समय सुदर्शन झील से सर्वप्रथम सिंचाई वह पानी के विकास के लिए नहर निकाली थी तथा इस समय सौराष्ट्र का गवर्नर यवन तुषासाफ था
सम्राट अशोक ने चाणक्य की शिष्य राधा गुप्त को अपना प्रधानमंत्री बनाया और उसी के सहयोग से सुशीम एवं अन्य भाइयों को पराजित कर सिंहासन प्राप्त किया बौद्ध ग्रंथों व फागण से पता चलता है की अशोक ने 500 स्त्रियों को जिंदा जलवा दिया क्योंकि इन्होंने इसे कुरूप कहां था इसी कारण इसका नाम चंदशोक निर्दई अशोक पड़ा तो अशोक ने पाटलिपुत्र मैं नरक द्वार( रमणीय बंधन )बनवाया तथा हेनसांग उज्जैन में एक दूसरा नरक ग्रह बताता है
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कलिंग युद्ध ( 261 ई. पू )
अशोक ने अपने राज्य अभिषेक के 8 वर्ष बाद अर्थात 9वी वर्ष में( राज्यरोहण के 12 वर्ष पश्चात अर्थात 13 वर्ष में) कन्नौज ग्राम कॉलिंग वर्तमान ओडिशा युद्ध लड़ा जिसका वर्णन सम्राट अशोक के 13वें शिलालेख से मिलता है हाथीगुंफा अभिलेख के अनुसार उस समय का लिंग पर नंद राज नामक का शासक शासन करता था हालांकि उस समय कलिंग पर शासन करने के लिए एक परिषद बनाई हुई थी माना जाता है कि कलिंग विजय के पीछे अशोक के व्यवसाय हित छुपे हुए थे सम्राट अशोक ने कलिंग के अलावा नेपाल और कुछ प्रांतों को जीता कलिंग युद्ध की विभीषिका को देखते हुए उसका मन द्रवित हो उठा और हमेशा हमेशा के लिए हिंसा त्याग करने की प्रतिज्ञा की अशोक ने युद्ध की नीति को सदैव के लिए त्याग दिया तथा दिग्विजय के स्थान पर धम्म विजय को अपनाया तथा धौली( पूरी जिला) वाह जोगड़ गंजाम मैं दो शिलालेखों में कलिंग की प्रजा व सीमावर्ती प्रदेश में रहने वाली लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए उत्कीर्ण करवाया
वे अपनी प्रारंभिक जीवन में सेव धर्म का अनुयाई था परंतु कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने उप गुप्त के कहने पर बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया बौद्ध धर्म के प्रति उसका विश्वास देखने की लिए हमें बाबू शिलालेख विराटनगर जयपुर से पता चलता है अशोक युद्ध धम्म संघ में विश्वास करता था
अशोक ने अपने राज्य अभिषेक के 10 वे वर्ष में बोधगया बिहार 12वीं वर्ष में निघाली सागर बिहार तथा 20 वर्ष में लुंबिनी की यात्रा की लुमिनी भगवान बुद्ध की जन्मस्थली होने के कारण अशोक ने यहां की जनता का राजपुर कर कम कर दिया
अशोक एवं बौद्ध धर्म
कलिंग के युद्ध के लगभग डेढ़ वर्षो के उपरांत उपगुप्त के कहने बौद्ध धर्म ग्रहण किया दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक को उसके शासन के चौथे वर्ष नीग्रोथ नामक बिच्छू ने बौद्ध( धर्म मैं दीक्षित किया बौद्ध साहित्य में इस अवस्था को उप संपदा धर्मों में दीक्षित होने की प्रक्रिया) कहां गया
मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में वह पूर्ण रुप से बौद्ध हो गया। बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है 1. बुद्ध, 2. धम्म, 3. संघ , अशोक ने लोगों को बौद्ध धर्म का ज्ञान देने के लिए भाब्रू शिलालेख अंकित करवाया तथा बौद्ध धर्म का संरक्षक होने के कारण उसे ‘दूसरा बुद्ध’ भी कहा जाता है । जातक कथाओं की रचना सामान्य लोगों द्वारा की गई थी, जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लिखा गया और उनका संकलन किया गया इनमें बुद्ध के पूर्व जन्म की कथा ओं की जानकारी मिलती है, जिनकी की संख्या 549 ।
अशोक के उत्तराधिकारी
मौर्य सम्राट अशोक महान की मृत्यु के बाद मौर्य वंश का इतिहास अंधकारपूर्ण है । पुराणों में अशोक के बाद दस राजाओं का उल्लेख मिलता है अशोक के स्तंभ लेख में पुत्र तीवर का उल्लेख , संप्रति जिसकी उपाधि त्रीखंडा धिपति थी का उल्लेख, कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर में अशोक का उत्तराधिकारी जालौक ( शैव धर्मानुयायी एवं बौद्ध विरोधी ) का उल्लेख तथा पुरातात्विक श्रोतो मैं बिहार में उसके पौत्र दशरथ का उल्लेख मिलता है, जिसने नागार्जुनी पहाड़ी पर आजीवक संप्रदाय के साधुओं के निवास के गुफाओं ( गोपी, लोमर्षी, वडथिका, ) का निर्माण करवाया तथा अशोक के समान ‘देवानमप्रिय’ की उपाधि धारण की। मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ (बाणभट्ट ने इसे प्रज्ञा दुर्बल कहा है ) था, जिसकी हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 ई. पू. मैं कर शुंग वंश की स्थापना की
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samrat ashok ka jivan parichay
धन्यबाद