1857 ki kranti ke karan : 1857 की क्रांति के कारण
1857 ki kranti ke karan
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लॉर्ड कैनिंग के समय प्रारंभ हुआ क्योंकि भारतीय सैनिकों को एनफील्ड राइफले दी गई, जिसमें कारतूस भरने से पहले उस पर लगे चिकने पदार्थ को मुंह से हटाना पड़ता था। अफवाह फैली कि यह चिकना पदार्थ “सूअर वह गाय की चर्बी” से बना है । इसके परिणाम स्वरूप बुरहानपुर बैरक के 19 वी नेटिव इन्फेंट्री के सिपाहियों ने 26 फरवरी , 1857 को आदर्श मानने से मना कर दिया। इसके पहले ब्राउनबेस नाम की बंदूक काम में ली जाती थी । इस नई राइफल को सबसे पहले क्रीमिया yudh (1854) के टाइम प्रयोग किया गया था। चर्बी वाले कारतूस के प्रयोग पर 29 मार्च , 1857 ई. को बैरकपुर की soldier छावनी में ‘मंगल पांडे’ व ‘ईश्वर पांडे’ ने विरोध किया, यह क्रांति की स्टार्टिंग नहीं थी, अपितु पहली घटना थी । विद्रोह के फलस्वरूप 8 अप्रैल 1857 ई. को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई।
9 मई, 18 57 ई. को मेरठ में 85 सैनिकों ने विद्रोह कर दिया । 10 मई, 1857 ई. को यह विद्रोह पूरी छावनी में फैलता है, 11 मई को वेद दिल्ली पहुंचते हैं, जहां मुगल सम्राट ‘बहादुरशाह जफर द्वितीय’ को अपना नेता घोषित कर दिया, बख्त खां को सेनापति और nana साहब को पेशवा घोषित कर दिया गया । पहले 31 मई, 1857 ई. को क्रांति का दिन घोषित कर दिया गया था जिसमें ‘रोटी व कमल’ क्रांति का प्रतीक थे, लेकिन यह क्रांति समय से पहले 10 मई को प्रारंभ हुई । 12 मई को ‘बहादुर शाह जफर द्वितीय’ को राष्ट्रीय सम्राट घोषित किया गया।
1857 की क्रांति के विद्रोह के कारण
1. राजनीतिक कारण – डलहौजी की व्यपगत नीति, राजा – महाराजाओं के पदों व पेंशन को समाप्त करना, 1849 में मुगल बादशाह को लाल किला छोड़कर कुतुबमीनार में रहने का आदेश देना , 1856 में कैनिंग की घोषणा की बहादुर शाह की मृत्यु के बाद कोई बादशाह की उपाधि धारण नहीं करेगा आदि कारण रहे ।
2. प्रशासनिक कारण– दोषपूर्ण व्ययकारक न्याय व्यवस्था, jobs में भेदभाव की पूर्ण नीति, companyo में भ्रष्टाचार, अपर्याप्त सुधारों के कारण भारतीयों में असंतोष था ।
3. आर्थिक कारण- कंपनी द्वारा भारतीयों का आर्थिक शोषण भी विद्रोह का एक प्रमुख कारण बना। ‘अंग्रेजों की मुक्त व्यापार नीति’ एवं इंग्लैंड में बने वस्त्रों को कम मूल्य पर बेचना व कर मुक्त कर देने से भारतीय वस्त्र उद्योग को पूरी तरह समाप्त कर दिया, जिस कारण भारत का एक बहुत बड़ा तबका बेरोजगारी, गरीबी ,व ऋण से ग्रसित हो गया। इसके परिणाम स्वरूप भयंकर अकालो को जन्म दिया ।
4. सामाजिक कारण- सरकार के सती प्रथा निषेध 1829 व विधवा पुनर्विवाह कानून 1856 जैसे प्रगतिशील कदमों को भारतीय रूढ़िवादी समाज ने परंपराओं पर प्रहार के रूप में देखा पाश्चात्य शिक्षा वह रेल तार के विकास का भी भारतीय मानस पर विपरीत प्रभाव पड़ा
5. धार्मिक कारण
भारत में ईसाई मिशनरियों के कार्यों नेवी ने भी असंतोष बढ़ाने का कार्य किया पादरी वर्ग मिशनरियों के स्कूलों में भारतीय धर्म की कुली आलोचना करते एवं खिल्ली उड़ाते थे कंपनी सरकार ने भी धार्मिक रूप से भेदभाव किया उन्होंने धर्म परिवर्तित ईसाइयों को नौकरी वह प्रशासन में सुविधा मुहैया कराई मिशनरी स्कूलों में बई बिल की शिक्षा अनिवार्य थी इससे भारतीयों के दिमाक में यह बात बैठ गई की अंग्रेज उनके धर्म को नष्ट करना चाहते हैं
6. सैनिक कारण
सेना में भेदभाव सुविधाओं में कटौती कैनिंग ने जनरल सर्विस इनलिस्टमेट एकट बनवाया जिसके अनुसार बंगाल सेना को भारत से बाहर युद्ध पर जाने को कहा जो भारतीय धर्म के अनुसार गलत था 1854 ईसवी में डाकघर अधिनियम द्वारा सैनिकों की निशुल्क डाक सुविधा समाप्त कर दी गई इससे सैनिकों में तीव्र गति से असंतोष पनपा
7. विद्रोह का तात्कालिक कारण
जनवरी 1857 में बंगाल सेना में यह अफवाह फैल गई थी की नई रायपाल के कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी मिली हुई है इस कारण सैनिकों ने इसके इस्तेमाल से इंकार कर दिया । चर्बी युक्त कारतूसो के प्रयोग के विरुद्ध प्रथम घटना 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी (बंगाल) मैं घाटी । जहां पर मंगल पांडे ने कारतूसो के प्रयोग से इनकार करते हुए दो अंग्रेज अधिकारियों लेफ्टिनेंट बाग एवं लेफ्टिनेंट जनरल हगू सन की हत्या कर दी। इसके बाद 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में स्थित 20 एन. आई. तथा 3 एल. सी की पैदल टुकड़ी ने कारतूसों के प्रयोगों से मना कर विद्रोह का डंका बजा दिया । 11 मई, 1857 को प्रात:काल विद्रोहियों ने दिल्ली पर अधिकार कर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को पुन: भारत का सम्राट घोषित कर दिया । इसके बाद भारत के विभिन्न क्षेत्रों -अलीगढ़, लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, बनारस, बरेली, आगरा, शाहजहांपुर, रूहेलखंड, झांसी में विद्रोह हो गया। लेकिन पंजाब, राजस्थान, मुंबई, हैदराबाद, कश्मीर, इस क्रांति से अलग रहे। विद्रोहियों ने बख्त खां को बहादुर साहब का सेनापति तथा नाना साहब को पेशवा नियुक्त किया ।
ध्यान रहे-
18 57 की क्रांति के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पार पार्मस्टन ( लिबरल ) थे । अंग्रेजी भारतीय सेना का निर्माण 1748 ई . मैं प्रारंभ हुआ । उस समय मैनेजर स्ट्रेंजर लॉरेंस को अंग्रेजी भारतीय सेना का जनक पुकारा गया। भारतीयों को सेना में ऊंचे से ऊंचा प्राप्त होने वाला पद सूबेदार था। लॉर्ड कैनिंग भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल था ।
READ MORE–मोबाइल से घर बैठे पैसे कैसे कमाए की पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ click करें
विद्रोह का आरंभ और विस्तार
ऐसा माना जाता है कि 1857 का विद्रोह कोई अचानक से नहीं फूटा बल्कि इसके पीछे कई वर्षों की योजना का परिणाम था । इतिहासकार सुंदरलाल के अनुसार, इस विशाल योजना का सूत्रपात कानपुर के समीप बीठूर या लंदन में हुआ । कुछ इतिहासकारों का मानना है कि नाना साहब के निकट स्थ अजीमुल्ला खान तथा सतारा के अपदस्त राजा के निकटवर्ती रणोजी बापू ने लंदन में विद्रोह की योजना बनाई ।
यह भी कहा जाता है कि क्रांति के लिए गुप्त संगठनों में भी कार्य किया जिसमें साधु -सन्यासी बजाने नाचने वाले और घुमंतू लोगों ने क्रांति के प्रतीक के रूप में कमल और रोटी को चुना । कमल को उन सैन्य टुकड़ियों में पहुंचाया गया , जो क्रांति में शामिल होने के लिए तैयार थी तथा रोटी को एक गांव से दूसरे गांव तक चौकीदारों के जरिए पहुंचाया गया ।
भारत के विभिन्न भागों में विद्रोह और दमन
15 जून तक क्रांति पूरे उत्तर भारत में फेल चुकी थी आसाम के अंतिम राजा के दीवान मनीराम दत्त विद्रोह में विद्रोहियों का साथ देने का निश्चय किया दिल्ली में 82 वर्षीय मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने विद्रोह का नेतृत्व प्रदान किया भक्त खां को उसका सहयोगी व सेनापति बनाया तथा नाना साहब उसके पेशवा नियुक्त हुए भारतीय सैनिकों ने अंग्रेज सेना का मुकाबला किया परंतु सितंबर 1857 को अंग्रेजों का दिल्ली पर पुणे अधिकार हो गया तथा 20 सितंबर 18 57 को बहादुर शाह जफर हुमायूं के मकबरे मैं अंग्रेज लेफ्टिनेंट हड़सन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और उसे रंगून मैं निर्वासित कर दिया जहां उसकी मृत्यु हो गई रंगून में बहादुर शाह की मजार पर लिखा है कि बहादुर शाह जफर इतना बदनसीब है कि उसे अपनी मातृभूमि में दफन के लिए 2 गज जमीन नसीब नहीं हुई।
में आशा कर्ता हूँ की आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको 1857 ki kranti ke karan के बारें में पूर्ण जानकारी मिल गई होगी दोस्तों हमारी इस पोस्ट को अंत तक पढने के लिए आपका बहुत- 2 धन्यबाद
इसे भी पढ़े —youtube से पैसे कैसे कमाए ki पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ click करें
1857 ki kranti ke karan
धन्यबाद